Sunday, May 19, 2024
Breaking News
Home » विविधा » अंतरात्मा कर ले आत्महत्या

अंतरात्मा कर ले आत्महत्या

नीरज त्यागी

पत्थरो की भीड़ है इंसान है कहाँ ।
बईमानों की भीड़ में ईमान है कहाँ ।।
मुर्दो की बस्ती जिंदा इंसान है कहाँ ।
झूठो की बस्ती मक्कार सब यहाँ ।।
एकला चलो अब संभव कहाँ।
भीड़ से हटकर तेरा वजूद अब कहाँ ।।
आराम से जीना है तो जमीर बेच दो ।
भीड़ से जुड़ना है तो अपना आत्मसम्मान बेच दो ।।
दलदल है जीवन इससे बच ना पाएगा ।
जिंदा रहना है तो बस अब दुसरो के सामने घुटने टेक दो ।।
आओ अपने आप को भीड़ से जोड़ दे।
आत्मा जिंदा हो ना होएदिखावटी शरीर को भीड़ से जोड़ दे ।।